Saturday, 8 June 2019

ट्विंकल बिटिया को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि

*अलीगढ़ काण्ड में बलिदानित ट्विंकल बिटिया को  श्रद्धांजलि रूप में समर्पित कुछ पंक्तियाँ-*

*फिर से लज्जित पूरा भारत फिर मानवता तार हुई।*
*ट्विंकल बिटिया की हत्या से दुनिया शर्मसार हुई।।*

*अरे ढाई साल की बच्ची थी वो सीना नहीं फटा तेरा।*
*ऐसा कुकृत्य करने से पहले क्यों शीश नहीं कटा तेरा।।*

*इस बच्ची को न्याय दिलाने कोई नहीं दिखता है जी।*
*सिद्ध हो गया आज पुनः कि पैसों में सब बिकता है जी।।*

*कहाँ गई वो स्वरा भास्कर,कहाँ करीना खान गई।*
*मजहब देख के दर्द छलकता,दुनिया पूरी जान गई।।*

*अरे फूल सी बच्ची थी वो,छोटी थी,नादान थी।*
*दुनिया में हैं बहुत भेड़िये,बात से इस अनजान थी।।*

*एक प्रार्थना शासन से कि ट्विंकल को अब न्याय मिले।*
*मृत्युदंड दोषियों को हो,इस देश को एक अध्याय मिले।।*

*अरे हिन्दुओं घर से निकलो,जबरदस्त हुंकार भरो।*
*न्याय मिले ट्विंकल को ऐसी,एक साथ ललकार करो।।*

*ट्विंकल बिटिया को न्याय मिले,यह संकल्प बनाएं हम।*
*राष्ट्रधर्म का पालन करके,पुनः समाज जगायें हम।।*
          

*कवि-भास्कर हिन्दुराष्ट्री 'जसविन्दर'*
www.hindukavi.blogspot.com

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को समर्पित कविता

संघ सरिता बह रही है।

कल-कल कर कुछ कह रही है।।


कहती है यह संघ सरिता,चल तू मेरे साथ में।

पकड़ ले हर हिन्दू का हाथ,अब तू अपने हाथ में।।


हिन्दू हम सब एक हैं वीरों, अब हमको प्रकटाना है।

लेकर हर हिन्दू का साथ रामराज्य लाना है।।


अब मुखबोलू वाला कार्य हमे नहीं करना है।

अटल,प्रखर संकल्प मार्ग में राष्ट्र हेतु मरना है।।


संघे शक्ति युगे-युगे यह तो सब हैं जानते।

जानकर भी इस बात को क्यों नहीं हम मानते।।


जननी,जन्मभूमि स्वर्गोपरि इसको हमने माना।

करना इनका पुनरुत्थान संकल्प अटल यह ठाना।।


राष्ट्रहितैषी कार्य को करना संघ हमें सिखाता।

राष्ट्रहितैषी मार्ग किधर है संघ हमें दिखाता।।


देखें तो भारत माता को जाने क्या-क्या सह रही हैं।

कल-कल की पावन ध्वनि लेकर दशकों से यह बह रही है।।

संघ सरिता बह रही है।

कल-कल कर कुछ कह रही है।।


अनुपम है परम्परा जिसकी।

स्वर्णभूमि सम धरा है उसकी।।


हिन्दू एकता भाव जगाना अब कर्तव्य हमारा है।

रामराज्य को फिर से लाना अब दायित्व हमारा है।।


जन्म लिया श्रीराम ने इसी सनातन धर्म में।

पुरुषोत्तम कहलाते क्यों, यह परिलक्षित उनके कर्म में।।


चिंतित हों संस्कृति हेतु हमारे कारण ढह रही है।

कल-कल की पावन ध्वनि लेकर जो आदिकाल से बह रही है।।

संघ सरिता बह रही है।

कल-कल कर कुछ कुछ कह रही है।।


कवि-भास्कर हिन्दुराष्ट्री 'जसविन्दर'

www.hindukavi.blogspot.com

Sunday, 2 June 2019

।।मातृभूमि की राह में सर्वस्व अर्पित।।

तन समर्पित, मन समर्पित और यह जीवन समर्पित।

मातृभूमि की राह में करदें हम सर्वस्व अर्पित।।

ध्येयमार्ग में चलना ही है राष्ट्रधर्म पर चलना।

केशव, सिंघल जी से सीखें चन्दन सम हम गलना।।

हिन्दुदेश की हम सन्तान ध्यान रहेगा इसका।

हिन्दुभूमि में जन्म लिया है मान रहेगा इसका।।

भारत माँ की सेवा करके उत्तम पुण्य करें हम अर्जित।

राष्ट्रहित के मार्ग में करदें हम सर्वस्व अर्पित।।

तन समर्पित,...........................सर्वस्व अर्पित।।--१


न यह तन मेरा,न यह मन मेरा।

जो भी है सब मां का है।।

यह मिला जो जीवन मां का कर्ज है।

राष्ट्रहित के कार्य करना ही तो मेरा फर्ज है।।

कर्तव्य से न भागें ,समय से अब तो जागें हम।

करें सब कुछ राष्ट्रहित में यह भास्कर की अर्ज है।।

कर्म करें हम ऐसा कि मां भारती हो जायें हर्षित।

राष्ट्रहित के मार्ग में कर दें हम सर्वस्व अर्पित।।

तन समर्पित,............................ सर्वस्व अर्पित।।--२


इस पुण्यधरा की हम सन्तान, सदा रहेगा इसका मान।

कोई हिन्दू पतित नहीं है सदा रखेंगे इसका ध्यान।।

हिन्दू-हिन्दू एक रहें अब करना भगवा ध्वज का गान।

हिन्दुराष्ट्र हितैषी जितने करना है सबका सम्मान।।

हिन्दुहित के कार्य करेंगे ऐसा वचन करें संकल्पित।

राष्ट्रहित के मार्ग में करदें हम सर्वस्व अर्पित।।

तन समर्पित,................................. सर्वस्व अर्पित।।-३

                    ।।जय माँ भारती।।

                         कवि -भास्कर हिन्दुराष्ट्री 'जसविन्दर'




Sunday, 8 October 2017

।।विश्वगुरु भारत।।

मित्रों ऐसी सोंच रखो कि सोंच शत्रु घबरायें।
चलो एकबार फिर भारत को विश्वगुरु बनायें।।

पर बातें ही करने बस से काम नहीं चलता है।
बातें ही करने वाला बस हाँथ ही मलता है।।
जय श्रीराम का घोष करो कि जग को पता चल जाये।
चलो एकबार फिर भारत को विश्वगुरु बनायें।।

स्वप्न हमारा रामराज्य का पूर्ण हमें करना है।
चलो पुनः क्रांति की भांति राष्ट्र हेतु मारना है।।
मित्रों स्वार्थसिद्धि का जीवन कभी भी न तुम जीना।
विष देकर विश्वासघात का मधु कभी न पीना।।
ऐसा दर्द दे राष्ट्रद्रोही की जी खोल चिल्लाये।
चलो एकबार फिर भारत को विश्वगुरु बनायें।।

रामराज्य का पवन स्वप्न जिन नेत्रों ने देखा।
केशव,गुरूजी,सिंघल जी ने लाँघी भय की रेखा।।
मिल जाये जो साथ सभी का रामराज्य आएगा।
पावन पुण्य कार्य करने में समय न लग पायेगा।।
मिल के सब जयघोष करें कि सुन के शत्रु घबरायें।
चलो एक बार फिर भारत को विश्वगुरु बनायें।।

मिलेगा जब हर हिन्दू का साथ राममन्दिर बन जायेगा।
बजेगा फिर हिन्दू का डंका,भारत फिर हिन्दुराष्ट्र कहलायेगा।।
यह कोई दुर्लभ बात नहीं कि सब हिन्दू आयें साथ।
सिद्ध किया है इसको हमने पहले भी कर अथक प्रयास।।
हिन्दू-हिन्दू एक रहें अब मित्रों हम सब मिलकर गायें।
चलो एकबार फिर भारत को विश्वगुरु बनायें।।

               ।।जय माँ भारती।।
                            हिन्दू जसविन्दर 'पेण्डु'

Sunday, 18 June 2017

॥इन्सान॥

मित्रों वह इन्सान नहीं जो स्वार्थ में लालच कर जाये।
बेंचकर अपना ईमान जीते जी ही मर जाये ॥

मरना एकदिन सबको है,पर जीते जी ही क्या मरना।
स्वार्थ हेतु ईमान बेंचकर,भौतिक जीवन क्या करना॥

जिएँ एकदिन लेकिन ऐसे कि सौ वर्ष ही जी जाएँ।
पीना पड़े यदि राष्ट्र हेतु तो विष को भी हम पी जाएँ॥

सर्वोपरि राष्ट्र है अपना हम सबका हो नारा॥
विश्वगुरू फिर बनेंगे हम हो सङ्कल्प हमारा॥

              ॥जय माँ भारती॥
          आपका अपना-जसविन्दर शुक्ल 'पेण्डु'

ट्विंकल बिटिया को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि

*अलीगढ़ काण्ड में बलिदानित ट्विंकल बिटिया को  श्रद्धांजलि रूप में समर्पित कुछ पंक्तियाँ-* *फिर से लज्जित पूरा भारत फिर मानवता तार हुई।* *ट्...