मित्रों ऐसी सोंच रखो कि सोंच शत्रु घबरायें।
चलो एकबार फिर भारत को विश्वगुरु बनायें।।
पर बातें ही करने बस से काम नहीं चलता है।
बातें ही करने वाला बस हाँथ ही मलता है।।
जय श्रीराम का घोष करो कि जग को पता चल जाये।
चलो एकबार फिर भारत को विश्वगुरु बनायें।।
स्वप्न हमारा रामराज्य का पूर्ण हमें करना है।
चलो पुनः क्रांति की भांति राष्ट्र हेतु मारना है।।
मित्रों स्वार्थसिद्धि का जीवन कभी भी न तुम जीना।
विष देकर विश्वासघात का मधु कभी न पीना।।
ऐसा दर्द दे राष्ट्रद्रोही की जी खोल चिल्लाये।
चलो एकबार फिर भारत को विश्वगुरु बनायें।।
रामराज्य का पवन स्वप्न जिन नेत्रों ने देखा।
केशव,गुरूजी,सिंघल जी ने लाँघी भय की रेखा।।
मिल जाये जो साथ सभी का रामराज्य आएगा।
पावन पुण्य कार्य करने में समय न लग पायेगा।।
मिल के सब जयघोष करें कि सुन के शत्रु घबरायें।
चलो एक बार फिर भारत को विश्वगुरु बनायें।।
मिलेगा जब हर हिन्दू का साथ राममन्दिर बन जायेगा।
बजेगा फिर हिन्दू का डंका,भारत फिर हिन्दुराष्ट्र कहलायेगा।।
यह कोई दुर्लभ बात नहीं कि सब हिन्दू आयें साथ।
सिद्ध किया है इसको हमने पहले भी कर अथक प्रयास।।
हिन्दू-हिन्दू एक रहें अब मित्रों हम सब मिलकर गायें।
चलो एकबार फिर भारत को विश्वगुरु बनायें।।
।।जय माँ भारती।।
हिन्दू जसविन्दर 'पेण्डु'
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