मातृभूमि की राह में करदें हम सर्वस्व अर्पित।।
ध्येयमार्ग में चलना ही है राष्ट्रधर्म पर चलना।
केशव, सिंघल जी से सीखें चन्दन सम हम गलना।।
हिन्दुदेश की हम सन्तान ध्यान रहेगा इसका।
हिन्दुभूमि में जन्म लिया है मान रहेगा इसका।।
भारत माँ की सेवा करके उत्तम पुण्य करें हम अर्जित।
राष्ट्रहित के मार्ग में करदें हम सर्वस्व अर्पित।।
तन समर्पित,...........................सर्वस्व अर्पित।।--१
न यह तन मेरा,न यह मन मेरा।
जो भी है सब मां का है।।
यह मिला जो जीवन मां का कर्ज है।
राष्ट्रहित के कार्य करना ही तो मेरा फर्ज है।।
कर्तव्य से न भागें ,समय से अब तो जागें हम।
करें सब कुछ राष्ट्रहित में यह भास्कर की अर्ज है।।
कर्म करें हम ऐसा कि मां भारती हो जायें हर्षित।
राष्ट्रहित के मार्ग में कर दें हम सर्वस्व अर्पित।।
तन समर्पित,............................ सर्वस्व अर्पित।।--२
इस पुण्यधरा की हम सन्तान, सदा रहेगा इसका मान।
कोई हिन्दू पतित नहीं है सदा रखेंगे इसका ध्यान।।
हिन्दू-हिन्दू एक रहें अब करना भगवा ध्वज का गान।
हिन्दुराष्ट्र हितैषी जितने करना है सबका सम्मान।।
हिन्दुहित के कार्य करेंगे ऐसा वचन करें संकल्पित।
राष्ट्रहित के मार्ग में करदें हम सर्वस्व अर्पित।।
तन समर्पित,................................. सर्वस्व अर्पित।।-३
।।जय माँ भारती।।
कवि -भास्कर हिन्दुराष्ट्री 'जसविन्दर'
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