Saturday, 8 June 2019

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को समर्पित कविता

संघ सरिता बह रही है।

कल-कल कर कुछ कह रही है।।


कहती है यह संघ सरिता,चल तू मेरे साथ में।

पकड़ ले हर हिन्दू का हाथ,अब तू अपने हाथ में।।


हिन्दू हम सब एक हैं वीरों, अब हमको प्रकटाना है।

लेकर हर हिन्दू का साथ रामराज्य लाना है।।


अब मुखबोलू वाला कार्य हमे नहीं करना है।

अटल,प्रखर संकल्प मार्ग में राष्ट्र हेतु मरना है।।


संघे शक्ति युगे-युगे यह तो सब हैं जानते।

जानकर भी इस बात को क्यों नहीं हम मानते।।


जननी,जन्मभूमि स्वर्गोपरि इसको हमने माना।

करना इनका पुनरुत्थान संकल्प अटल यह ठाना।।


राष्ट्रहितैषी कार्य को करना संघ हमें सिखाता।

राष्ट्रहितैषी मार्ग किधर है संघ हमें दिखाता।।


देखें तो भारत माता को जाने क्या-क्या सह रही हैं।

कल-कल की पावन ध्वनि लेकर दशकों से यह बह रही है।।

संघ सरिता बह रही है।

कल-कल कर कुछ कह रही है।।


अनुपम है परम्परा जिसकी।

स्वर्णभूमि सम धरा है उसकी।।


हिन्दू एकता भाव जगाना अब कर्तव्य हमारा है।

रामराज्य को फिर से लाना अब दायित्व हमारा है।।


जन्म लिया श्रीराम ने इसी सनातन धर्म में।

पुरुषोत्तम कहलाते क्यों, यह परिलक्षित उनके कर्म में।।


चिंतित हों संस्कृति हेतु हमारे कारण ढह रही है।

कल-कल की पावन ध्वनि लेकर जो आदिकाल से बह रही है।।

संघ सरिता बह रही है।

कल-कल कर कुछ कुछ कह रही है।।


कवि-भास्कर हिन्दुराष्ट्री 'जसविन्दर'

www.hindukavi.blogspot.com

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